Latest Kabhar

आवाम को तिरंगे के खिलाफ भड़काना और हुकूमत करने के लिए चीन को बुलाना क्या राष्ट्रद्रोह नहीं है?

पिछले साल केंद्र सरकार ने संविधान के आर्टिकल 370 और 35A को रद्द किया और जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाया। तब से कश्मीर में अलगाववादियों के साथ-साथ फारुख अब्दुल्ला-महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं की फजीहत हो गई है। अब तक केंद्र से जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले फंड से उन्होंने अपनी जेबें भरी और देश के विरोध में बयान देकर कश्मीरी अवाम को भड़काया। अब भी ये नेता तिरंगे और देश का अपमान करने वाले बयान दे रहे हैं।

पिछले साल केंद्र ने ऐतिहासिक कदम उठाने के बाद कश्मीर के नेताओं को नजरबंद किया। तब तो वे कुछ बोल ही नहीं पाए थे, लेकिन बाहर आते ही आर्टिकल 370 को फिर से लागू करने की लड़ाई को तेज करने का फैसला किया है। गुपकार डिक्लेरेशन को लागू करने पीपुल्स अलायंस बनाया। फारुख अब्दुल्ला अध्यक्ष बने और महबूबा मुफ्ती को उपाध्यक्ष बनाया।

इन नेताओं ने एक बार फिर कश्मीर की जनता को भड़काने की कोशिशें तेज कर दी हैं। फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि चीन की मदद से ही आर्टिकल 370 लागू हो सकता है। कश्मीरी खुद को भारतीय नहीं मानते और भारतीय बनना भी नहीं चाहते। ज्यादातर कश्मीरी चाहते हैं कि चीन आए और शासन करें।

दूसरी ओर, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर का झंडा नहीं मिलता, तब तक तिरंगा नहीं फहराएंगे। ऐसे बयानों से पूरे देश में आक्रोश है। क्या यह बयान राष्ट्रद्रोह नहीं है, क्या उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए, यह प्रश्न उठ रहे हैं।

गुपकार डिक्लेरेशन में शामिल रहे कश्मीरी नेता पीपुल्स अलायंस बनाने की घोषणा करते हुए।

जम्मू-कश्मीर का इतिहास

इन प्रश्नों के जवाब देने से पहले कश्मीर का इतिहास जानना जरूरी है। जम्मू-कश्मीर मुस्लिम बहुल राज्य था, जबकि वहां के राजा हरि सिंह हिंदू थे। आजादी के बाद उन्हें स्वतंत्र रहना था, लेकिन पाकिस्तान ने कबाइलियों की मदद से हमला कर दिया। तब हरि सिंह ने भारत से मदद की याचना की। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैन्य कार्रवाई की और कबाइलियों को खदेड़ा।

भारत की शर्त थी कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करना होगा। हरि सिंह राजी हो गए थे, लेकिन शर्त के साथ। शर्त पूरी करने ही आर्टिकल 370 बना था। इसके बाद 70 साल तक केंद्र ने राज्य के विकास में हजारों करोड़ रुपए खर्च किए। सुविधाएं दीं। लेकिन, वहां के नेताओं की भाषा में अपनापन नहीं आया। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और अलगाववादी धड़ों ने हमेशा भारत विरोधी बयान दिए।

फारुख अब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती भी पीछे नहीं थे। इन नेताओं ने भारत विरोधी बयान देकर पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते बनाए। शेख अब्दुल्ला ने तो जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भारत में स्वतंत्र गणतंत्र के तौर पर कश्मीर का उल्लेख किया था। कश्मीर के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहा जाता था। इन नेताओं के बच्चे विदेशों में पढ़े। केंद्र से आए पैसे पर लग्जरियस जीवन जीया। फिर भी भारत पर टीका-टिप्पणी करना, इनकी आदत हो गई है।

फारुख, मेहबूबा के बिगड़े बोल

पिछले साल हालात बदले और केंद्र ने आर्टिकल 370 व आर्टिकल 35A रद्द कर दिया। केंद्र के फंड से तिजोरी भरने वाले नेताओं की आर्थिक गतिविधियों की जांच शुरू हुई। उन्हें मिलने वाले पैसों के स्रोत पर लगाम कस गई। फारुख अब्दुल्ला और मेहबूबा मुफ्ती नजरबंद हुए।

दूसरी ओर, सेना ने घाटी में कई आतंकियों को मार गिराया। जम्मू-कश्मीर में विकास को गति दी। बरसों से लंबित प्रोजेक्ट पूरे किए। जब यह हो रहा था, तब फारुख अब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती जैसे नेता तिरंगे के खिलाफ और चीन के समर्थन की बातें कह रहे थे। कश्मीरियों को भड़का रहे थे।

भारत के कानून को देखें तो प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के सेक्शन 2 में स्पष्ट है कि तिरंगे पर आपत्तिजनक बयान या तिरंगे का अपमान तीन साल के लिए जेल भेज सकता है। संविधान के आर्टिकल 19 (1A) के मुताबिक तिरंगा फहराना हर भारतीय का मौलिक अधिकार है। कश्मीर में रहने वाली भारतीय जनता को तिरंगे के खिलाफ भड़काना क्या राष्ट्रद्रोह नहीं है?

IPC के सेक्शन 121 से 130 तक की व्याख्या महत्वपूर्ण

भारतीय दंड विधान यानी IPC के सेक्शन 121 से 130 तक में भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, युद्ध का आह्वान करने और युद्ध के लिए हथियार जुटाने की व्याख्या है। सेक्शन 121 कहता है कि युद्ध छेड़ने का आह्वान, युद्ध का प्रयास या युद्ध के लिए उकसाना गैरकानूनी है। ब्रिटिशर्स ने यह कानून बनाया था, जो आज भी कायम है।

2008 में मुंबई पर आतंकी हमला करने वाले आतंकियों में शामिल अजमल कसाब पर भी हमने यह आरोप लगाए थे। कसाब और उसके साथियों ने होटल और रेलवे स्टेशन पर हमला किया था। सुप्रीम कोर्ट में प्रश्न उठा था कि क्या उन पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप सही है? हमने दलील दी कि कसाब और उसके साथियों ने हमले के लिए जिन जगहों को चुना, उसका उद्देश्य समझना जरूरी है।

रेलवे स्टेशन पर हमला कर वे लोगों में दहशत पैदा करना चाहते थे। होटल पर हमले में विदेशी नागरिकों की हत्या के जरिए भारत में विदेशी निवेश को नुकसान पहुंचाना चाहते थे। मुंबई और फाइव स्टार होटल को निशाना बनाने कारण साफ थे। हमने कहा कि यह एक तरह से युद्ध ही है और बाद में इसी आधार पर कसाब को सजा सुनाई गई।

यह प्रॉक्सी वॉर ही तो है

सेक्शन 124 कहता है कि भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के विरोध में कोई भी लिखित या मौखिक शब्द, या चित्र या सांकेतिक चित्र, या किसी भी अन्य माध्यम से नफरत फैलाने की कोशिश, या सरकार के खिलाफ असंतोष भड़काने की कोशिश, या असंतोष भड़काएगा तो उसे उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

बदली परिस्थितियों में दोनों सेक्शन का मतलब नए सिरे से निकालना चाहिए। कसाब प्रकरण में हमने सेक्शन 121 की व्याख्या में कहा था- आज युद्ध आमने-सामने नहीं होते। यह प्रॉक्सी वॉर का जमाना है। शत्रु कानून-व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने, अशांति बढ़ाने, असंतोष भड़काने की कोशिश करता है।

अलगाववादी नेताओं ने कश्मीरियों को भारत सरकार के खिलाफ भड़काया है। तिरंगा हमारे देश के सर्वोच्च सम्मान का प्रतीक है। उसका अपमान हो रहा है। यह देश के खिलाफ युद्ध की साजिश रचना, राष्ट्रद्रोह का ही एक प्रकार है। इन नेताओं पर नकेल कसना जरूरी है। इन नेताओं में कानून का डर होना चाहिए। सिर्फ हिरासत में लेने से काम नहीं चलेगा; उन पर मुकदमे चलना चाहिए और कानून के अनुसार सजा देना जरूरी है।

कानून का शासन स्थापित करना जरूरी

केंद्र सरकार ने हाल ही में निर्णय लिया कि जम्मू-कश्मीर में अब कोई भी भारतीय नागरिक जाकर जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकेगा, लेकिन खेती की जमीन बाहरी लोग नहीं खरीद सकेंगे। साफ है कि केंद्र ने स्थानीय लोगों की आजीविका की चिंता की है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और वहां का विकास भी आवश्यक है। लेकिन, अब वहां के नेता ऊलजलूल बयान दे रहे हैं। इनका आशय निश्चित ही घातक है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अनियंत्रित और स्वच्छंद नहीं हो सकती। इससे अराजकता ही फैलेगी।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
DB Explainer: Kashmir Latest News | Kashmir Update News | Senior Advocate Ujjawal Nikam | Abdullah Mehbooba Mufti | Gupkar Declaration | People Alliance


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3mG4V8a

कोई टिप्पणी नहीं