डोनाल्ड ट्रम्प अब भी चुनाव जीत सकते हैं, हालांकि रास्ता बहुत संकरा और मुश्किल हो चुका है
2016 में डोनाल्ड ट्रम्प जब चुनाव जीते थे, तब उन्होंने तमाम पोल्स को गलत साबित कर दिया था। डेमोक्रेट्स भी हैरान थे। लेकिन, कई मायनों में वह कोई सरप्राइज विक्ट्री नहीं थी। बेरोजगारी, इमीग्रेशन, चीन और ट्रेड। कई मुद्दे थे, जिन पर उन्होंने ट्विटर का इस्तेमाल करते हुए आखिरी हफ्तों में बढ़त बना ली थी। उन राज्यों में उन्हें फायदा मिला था, जहां श्वेत मतदाता यानी व्हाइट वोटर्स ज्यादा थे। इन लोगों ने डेमोक्रेट्स को ज्यादा तवज्जो देना मुनासिब नहीं समझा।
इस बार हालात अलग
लेकिन, ट्रम्प के लिए हालात इस बार काफी मुश्किल हैं। दो चीजें तो साफ दिखती हैं। पहली- कोविड-19 की वजह से उनकी लोकप्रियता काफी निचले स्तर पर जा चुकी है। दूसरी- अर्थव्यवस्था कमजोर स्थिति में है। इसके अलावा इस बार उनके सामने जो बाइडेन हैं। जिन्होंने 2016 में ट्रम्प के कैम्पेन को बारीकी से समझा और फिर स्ट्रैटेजी तैयार की।
मुश्किल है रास्ता
इलेक्शन सामने है। ट्रम्प की जीत के चांसेज भी काफी कम हैं। लेकिन, एनालिस्ट्स मानते हैं कि पिछले चुनाव की तर्ज पर ट्रम्प कैम्पेन में कुछ बुनियादी बदलाव करके सियासी आधार मजबूत कर सकते हैं। लेकिन, इसके लिए ये भी जरूरी है कि वे बाइडेन को गलतियां करने पर मजबूर करें। पिछले चुनाव में उन्होंने पेन्सिलवेनिया, मिशिगन और विस्कॉन्सिन में डेमोक्रेट्स को चौंकाया था। एरिजोना और फ्लोरिडा में बाइडेन इस बार चुनौती देते नजर आते हैं। पोल्स के मुताबिक, हालात बदलना मुश्किल हैं। अगर वे ग्रामीण और अश्वेत वोटर्स में पकड़ बना पाए तो जीत मिल सकती है। जैसा पिछली बार हुआ था।
अनुशासित भी रहना होगा
इलेक्शन स्ट्रैटेजिस्ट मानते हैं कि ट्रम्प को कैम्पेन के आखिरी दौर में ज्यादा अनुशासित रहना होगा। वोटर्स को भरोसा दिलाना होगा कि वे इकोनॉमी को रास्ते पर लाने में बाइडेन से कहीं बेहतर विकल्प हैं। स्विंग स्टेट्स या स्विंग वोटर्स यानी वे वोटर्स जो पाला बदल सकते हैं, ट्रम्प को वहां फोकस करना होगा। कोई ऐसा तरीका इस्तेमाल करना होगा जिसके बाइडेन कोई बड़ी गलती कर जाएं और जिससे चुनाव का रुख ही बदल जाए।
नए वोटर्स पर नजर
फ्लोरिडा और पेन्सिलवेनिया में काफी नए वोटर्स हैं। 2016 में भी उन्होंने इन्हीं पर फोकस किया था। जॉर्ज बुश जूनियर के दौर में व्हाइट हाउस में पॉलिटिकल डायरेक्टर रहीं सारा फेगन कहती हैं- अब चुनावी माहौल को बदले के लिए कुछ ही दिन बचे हैं। ट्रम्प के पास अब भी मौका है जब वे नाटकीय तरीके से मिडवेस्ट के नॉन कॉलेज एजुकेटेड व्हाइट वोटर्स को पाले में कर सकते हैं। खास बात ये है कि डेमोक्रेट्स भी यह मानते हैं कि ट्रम्प ऐसा कर सकते हैं। साल 2000 में अल गोर का चुनाव मैनेजमेंट देखने वाली डोना कहती हैं- इस बार रिपब्लिकन्स इलेक्टोरेट पर ज्यादा फोकस नहीं कर रहे। उन्होंने मैदानी तैयारी अच्छी की है।
अश्वेतों के बीच भी ज्यादा कमजोर नहीं
बात सिर्फ व्हाइट वर्किंग क्लास वोटर्स की नहीं है। पोल्स बताते हैं कि ट्रम्प 2016 की तुलना में अश्वेत और लैटिनो वोटर्स के बीच भी ट्रम्प ने स्थिति सुधारी है। पिछले चुनाव में एरिजोना, नॉर्थ कैरोलिना, जॉर्जिया, विस्कॉन्सिन, पेन्सिलवेनिया और मिशिगन में ट्रम्प जीते थे। कुछ पोल बताते हैं कि फ्लोरिडा में बाइडेन आगे हैं। लेकिन, यह तय है कि दोबारा जीतने के लिए पेन्सिलवेनिया और मिशिगन के अलावा विस्कॉन्सिन ट्रम्प के लिए अहम राज्य होंगे।
जीत का भरोसा
कुछ नेशनल पोल्स बताते हैं कि बाइडेन जीत की तरफ जा रहे हैं। लेकिन, यकीन मानिए कि कई राज्यों में मुकाबला सख्त होने वाला है। रिपब्लिकन स्पीकर रह चुकीं गिनरिच कहती हैं- अक्टूबर 2016 याद कीजिए। लोग कह रहे थे कि ट्रम्प हार जाएंगे। मैं अब भी कहती हूं कि ट्रम्प जीतने जा रहे हैं।
गिनरिच कहती हैं- ट्रम्प को कोविड-19 के बारे में संभलकर बोलना होगा। अब तो वे खुद संक्रमित हो चुके हैं। यह मुद्दा खतरा साबित हो सकता है। खासकर महिला और बुजुर्ग वोटर्स को साधना होगा। बाइडेन इसे हथियार बना रहे हैं। डेमोक्रेट रह चुके स्टीफन कटर कहते हैं- ट्रम्प को डॉक्टर एंथोनी फौसी के साथ कुछ मौकों पर साथ दिखना होगा। वे अपनी नहीं, देश की बात करें। उन्होंने ट्वीट और ट्रोल से अब बचना होगा। पिछले चुनाव से इस बार हालात महामारी की वजह से बदल चुके हैं।
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