कोरोना पॉजिटिव मेरे मरीज सांस नहीं ले पाते, वे डर से कांप रहे हैं; और ट्रम्प कहते हैं- इससे डरने की कोई जरूरत नहीं
कल्पना कीजिए, कि आप सांस लेना चाहते हैं और कोशिश करने के बाद भी हवा आपके फेफड़ों में नहीं पहुंच पा रही है। सोमवार को एक ऐसा ही मरीज मेरे इमरजेंसी रूम में आया। उसने कहा- डॉक्टर मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं। मैंने उसका कोरोना टेस्ट कराया। कुछ देर बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उसकी आंखों में मायूसी साफ तौर पर देखी जा सकती थी। उसने मेरी तरफ देखा। फिर सहमी हुई आवाज में पूछा- क्या मैं ठीक हो पाउंगा?
ऐसी ही कई कहानियां या घटनाएं मेरे मिशिगन स्थित क्लिनिक में रोज होती हैं। मेरा हॉस्पिटल व्हाइट हाउस से 1126 किलोमीटर दूर है। ये तब और दूर महसूस होता है जब मैं देखता हूं कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को हॉस्पिटल में रिसीव करने के लिए सफेद कोट में डॉक्टर कैसे तैयार खड़े थे। वे हेलिकॉप्टर से आए और उससे ही लौट भी गए।
मेरे मरीज इसलिए डरते हैं..
राष्ट्रपति व्हाइट हाउस पहुंचने के बाद ट्वीट में कहते हैं- कोविड या कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन, मैं जानता हूं कि मेरे पास आने वाले पेशेंट्स घबराए हुए होते हैं। उनका सबसे बड़ा डर या कहें हालत यह होती है कि वे सांस नहीं ले पा रहे हैं। मेरे पास आने वाले मरीजों को बहुत बेहतर हेल्थकेयर नहीं मिल पाती। जैसी ट्रम्प को मिली। उनको डर इस बात का भी होता है कि अमेरिका में इस बीमारी की वजह की वजह से अब तक 2 लाख 11 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इनमें से कुछ युवा थे, एक दिन पहले तक स्वस्थ थे और अगले एक या दो हफ्ते में मौत का शिकार बन गए।
यही तो ट्रम्प को वोट देते हैं
20 साल से मैं प्रैक्टिस कर रहा हूं। इस छोटी सी जगह में कई लोग मेरे इमरजेंसी रूम में आते हैं। मैं जानता हूं कि इनमें से दो तिहाई ऐसे हैं जिन्होंने ट्रम्प को राष्ट्रपति बनाया। कई लोग उनकी पार्टी का फ्लैग लेकर घूमते नजर आएंगे। ये लोग ट्रम्प के हर शब्द पर भरोसा करते हैं। नियमों को मानने के लिए कोई दबाव नहीं है। हमारे क्षेत्र में कई लोग ऐसे मिल जाएंगे जो न मास्क लगाते हैं और न छह फीट की दूरी रखते हैं।
खतरा समझना होगा
छोटी जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग करने अपनेआप हो जाती है। सितंबर की शुरुआत में जब स्कूल खुले तो संक्रमण के मामले बढ़ने लगे। बच्चे और युवा भी संक्रमित हुए। लेकिन, राष्ट्रपति कहते हैं कि कोरोना को अपनी जिंदगी पर हावी न होने दें। कुछ बच्चों के पैरेंट्स मेरे पास सांस लेने में दिक्कत की शिकायत लेकर आए। दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स कहता है- मिशिगन को बंद करने की जरूरत नहीं। स्कूल भी खोले जाने चाहिए। अब मिशिगन में इसका नतीजा मैं देख रहा हूं। हमारे पास जरूरत के हिसाब से मास्क नहीं हैं। टेस्टिंग कैपेसिटी का भी यही हाल है।
पूरे अमेरिका में यही हालात
सुविधाओं की कमी पहले जैसी है। आठ महीने पहले अमेरिका में कोविड का पहला मरीज सामने आया था। मेरे अस्पताल में अब भी एन-95 मास्क और टेस्ट किट्स की कमी है। दूसरे राज्यों की तरह मिशिगन भी इसी समस्या से जूझ रहा है। अब मेरे मरीज समझ रहे हैं कि साइंस को न मानने का क्या नतीजा हो सकता है। राष्ट्रपति मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक उड़ा रहे हैं। बड़ी रैलियां कर रहे हैं।
बीमारी भेदभाव नहीं करती
अगर आप हेल्दी और लकी हैं तो हो सकता है आप स्वस्थ ही रहें। लेकिन, ये भी सही है कि कई बातें अब भी हम नहीं जानते। हम नहीं जानते कि भविष्य में यह वायरस आपके लंग्स, ब्रेन या किडनी को कितना नुकसान पहुंचाएगा। ये भी नहीं जानते कि क्या संक्रमण से उबरने के बाद हमारा इम्यून सिस्टम पहले जैसा हो पाएगा? सच्चाई ये है कि साइंस वक्त लेता है। जो दिख रहा है, फिलहाल उसे सच मानिए। मास्क नहीं पहनेंगे तो संक्रमित होने का खतरा है।
55 साल से ज्यादा उम्र के लोग जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर, मोटापे या डायबिटीज जैसी कोई बीमारी है तो उन्हें खतरा बहुत ज्यादा है। वो गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं, मौत भी हो सकती है।
मुश्किल हैं हालात
मेरे कई मरीज नहीं जानते होंगे कि अमेरिका में जिन 2 लाख 11 हजार लोगों की मौत हुई, उनमें से बमुश्किल 40 हजार ऐसे होंगे जिनकी उम्र 65 से 74 साल के बीच थी। किसी ने नहीं देखा कि ट्रम्प जब हॉस्पिटल से बाहर आए तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी या नहीं। उन्हें नहीं मालूम कि एंटी वायरल कॉकटेल या प्लाजमा क्या होता है। हमारी गवर्नर को घर में रहने, मास्क लगाने और भीड़ से बचने की सलाह देनी चाहिए। राष्ट्रपति को भी गंभीरता दिखानी होगी।
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