90 साल में दो करोड़ से पौने दो लाख करोड़ हो गई टाटा ग्रुप में मिस्त्री परिवार के शेयर्स की वैल्यू, लेकिन अब रिश्ते खत्म होने के करीब
अंबानी भाइयों के अलग होने के बाद अब देश में सबसे ज्यादा चर्चा शापूरजी पालोनजी ग्रुप (SP ग्रुप) और टाटा ग्रुप के बीच चले रहे विवाद की है। यह विवाद इतना बढ़ गया है कि करीब 9 दशकों से जुड़े दोनों ग्रुप अलग होने जा रहे हैं। इस बारे में दैनिक भास्कर ने बिजनेस एक्सपर्ट्स से बात कर यह जानने की कोशिश की कि दोनों के रिश्ते खत्म होने से खासतौर पर टाटा ग्रुप पर आर्थिक रूप से क्या असर होगा और उसके पास SP ग्रुप से टाटा संस के शेयर्स वापस लेने के कितने ऑप्शंस हैं। यह भी कि SP ग्रुप को इससे कितना फायदा होने वाला है?
मिस्त्री परिवार और टाटा फैमिली के बीच रिश्तों की शुरुआत 1930 में हुई थी। कहा जाता है कि तब जेआरडी टाटा को स्टील फैक्ट्री बनाने के लिए पैसों की जरूरत थी। उस वक्त पालोनजी शापूरजी मिस्त्री ने ही उनकी मदद की थी और उन्हें दो करोड़ रुपए दिए थे। इसके बदले में जेआरडी ने उन्हें टाटा संस के 12.5% शेयर्स दिए थे। यही हिस्सेदारी आज 18.37% तक पहुंच गई है। इसकी मार्केट वैल्यू 1.75 लाख करोड़ रुपए के करीब हो चुकी है।
रिश्ते बिगड़ने की वजह
SP ग्रुप की कमान संभालने वाले सायरस मिस्त्री को 2012 में 10 साल के लिए टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन उनके काम करने के तौर-तरीकों से नाखुश होकर सिर्फ 4 साल (2016) में ही उन्हें इस पद से हटा दिया गया था।
ऐसा भी कहा जाता है कि सायरस मिस्त्री के कामकाज के तरीके से न सिर्फ टाटा की कंपनियों को आर्थिक नुकसान हो रहा था, बल्कि टाटा ग्रुप के उसूल भी पीछे छूट रहे थे। इन्हीं बातों के मद्देनजर उन्हें चेयरमैन पद से हटाने का फैसला लिया गया था।
अब मिस्त्री सभी कारोबारी रिश्ते खत्म करना चाहते हैं
सायरस मिस्त्री को 2016 में चेयरमैन पद से हटाने के बाद से ही दोनों बिजनेस समूहों के बीच मतभेद जारी हैं। SP ग्रुप 18.37% शेयर और 1.75 लाख करोड़ रुपए के वैल्यूएशन के साथ टाटा संस में सबसे बड़ा माइनॉरिटी स्टेकहोल्डर है। बिगड़ते रिश्तों के चलते सायरस मिस्त्री ने टाटा संस में से अपनी हिस्सेदारी बेचने और टाटा ग्रुप के साथ सभी कारोबारी रिश्ते खत्म करने का फैसला किया है।
टाटा ग्रुप के लिए मुश्किल
मिस्त्री परिवार ने टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी बेचने की बात कही है। हालांकि, उन्होंने ये कभी नहीं कहा कि ये शेयर्स वे टाटा ग्रुप को ही देंगे। एक जानी मानी ब्रोकिंग फर्म के मुंबई स्थित सीनियर रिसर्च एनालिस्ट ने बताया कि सायरस मिस्त्री के मूड को देखते हुए कहा जा सकता है कि वे किसी बाहरी व्यक्ति को भी ये शेयर्स बेच सकते हैं। मिस्त्री का यही फैसला टाटा ग्रुप के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बन सकता है। अभी मिस्त्री से शेयर्स खरीदने के लिए इतनी बड़ी रकम अपने समूह या बाहर से मैनेज करना टाटा के लिए थोड़ा मुश्किल होगा।
SP ग्रुप के मुकाबले टाटा ग्रुप 20 गुना बड़ा
सायरस मिस्त्री की कोर्ट में दी गई अर्जी के मुताबिक, टाटा संस में SP ग्रुप के शेयर्स की वैल्यू 1.75 लाख करोड़ रुपए के करीब है। यह रकम SP ग्रुप के कुल वैल्यूएशन के मुकाबले तीन गुना है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 तक SP ग्रुप का वैल्यूशन 8.1 अरब डॉलर (करीब 60 हजार करोड़ रुपए) था।
ग्रुप का मुख्य बिजनेस इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन का है। इसके अलावा एनर्जी, रियल एस्टेट, वॉटर मैनेजमेंट और फायनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में भी वह है। उसकी तुलना में टाटा ग्रुप 20 गुना बड़ा है। टाटा का वैल्यूएशन करीब 12.5 लाख करोड़ रुपए है।
टाटा के पास क्या विकल्प हैं?
1. TCS के कुछ शेयर बेच दें
इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवायजरी सर्विसेज (IIAS) की रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा ग्रुप अगर SP ग्रुप के शेयर्स खरीदेगा तो उसे TCS की कुछ हिस्सेदारी बेचनी पड़ सकती है। SP ग्रुप के शेयर्स खरीदने के लिए TCS का करीब 16% हिस्सा टाटा संस को बेचना पड़ सकता है। ऐसा करने से TCS में उसकी होल्डिंग 72% से घटकर 56% पर आ जाएगी।
2. बाहरी निवेश
अंग्रेजी बिजनेस अखबार ‘मिंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मिस्त्री फैमिली से शेयर्स खरीदने के लिए टाटा संस सोवरिन वैल्थ फंड्स समेत कई निवेशकों से बात कर रही है। जानकारों के मुताबिक, टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन यूरोप के कई इंवेस्टमेंट फंड्स के संपर्क में भी हैं। हालांकि, इसमें पूरा मामला वैल्यूएशन पर आकर अटकेगा।
3. SP ग्रुप से समझौता
मुंबई के एक स्टॉक ब्रोकर के मुताबिक, टाटा अपने शेयर बाहर जाने से रोकने के लिए एसपी ग्रुप से समझौता कर सकते हैं। टाटा और मिस्त्री परिवार के बीच शेयर्स के लेनदेन के लिए कोई पारसी व्यक्ति मध्यस्थता कर सकता है। मामला संभालने के लिए रतन टाटा इस कोशिश में भी लगे हुए हैं। बिजनेस वर्ल्ड में इस बात से सभी सहमत नहीं हो सकते, लेकिन इसकी संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता।
4. SP ग्रुप से थोड़े-थोड़े शेयर खरीदने का ऑप्शन
अगर दोनों ग्रुप के बीच समझौता हो जाता है तो टाटा ग्रुप को SP ग्रुप के 18.37% शेयर्स कई हिस्सों में खरीदने का ऑप्शन मिल सकता है। इससे टाटा ग्रुप पर फायनेंशियल भार भी कम हो जाएगा और समय मिलने के चलते उसके लिए पैसों की व्यवस्था करना भी आसान हो जाएगा।
टाटा ग्रुप की इनकम बढ़ी
टाटा ग्रुप का रेवेन्यू फाइनेंशियल ईयर 2020 में 11 लाख करोड़ रुपए था। बीते 10 साल में ग्रुप की इनकम में 68.65% का इजाफा हुआ है। टाटा समूह की 17 कंपनियां स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं। कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 14.33 लाख करोड़ रुपए होती है। इसमें से 10.60 लाख करोड़ रुपए मार्केट कैप अकेले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का है। इस तरह देखें तो ग्रुप के लिए TCS एक फायनेंशियल ड्राइविंग फोर्स है।
शापूरजी पालोनजी ग्रुप की कंपनियां
- SP इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन
- SP इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन
- SP फाइनेंस
- SP इंफ्रास्ट्रक्चर
- SP इंटरनेशनल
- SP इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स
- SP ऑयल एंड गैस
- SP रियल एस्टेट
- एफकोंस इंफ्रास्ट्रक्चर
- यूरेका फोर्ब्स
- फोर्ब्स एंड को.
- फोरवॉल इंटरनेशनल सर्विसेज
- स्टर्लिंग एंड विल्सन
- SD कॉरपोरेशन
- ओमान शापूरजी
- नेक्स्टजेन पब्लिशिंग
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