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टाटा और मिस्त्री परिवार के 70 साल पुराने रिश्तों का अंत करीब; कौन क्या पाएगा, कौन क्या खोएगा?

इन दिनों देश की बिजनेस फेटरनिटी में शापूरजी पालोनजी ग्रुप (एसपी ग्रुप) और टाटा ग्रुप के बीच का विवाद चर्चा में है। रिलायंस के अंबानी भाईयों के अलगाव के बाद सबसे ज्यादा चर्चा इन दिनों इसे लेकर ही है। टाटा संस और शापूरजी पालोनजी ग्रुप के बीच छिड़े विवाद ने करीब 7 दशकों से चले आ रहे इनके परिवारिक और बिनजेस से जुड़े रिश्तों के बीच मतभेद की गहरी खाई बना दी है। इसी बारे में दैनिक भास्कर ने ब्रोकिंग फर्म के एक्सपर्ट्स से बात कर यह जानने की कोशिश की है कि इनके संबंध टूटने पर खासतौर से टाटा ग्रुप पर आर्थिक रूप से कितना असर होगा। इसके अलावा उसके पास एसपी ग्रुप से अपने शेयर्स वापस लेने के कितने ऑप्शंस हैं। और यह भी कि एसपी ग्रुप को इससे कितना फायदा होने वाला है।

क्या है पूरा विवाद?
सायरस मिस्त्री को 2016 में चेयरमैन पद से हटाने के बाद से ही दोनों बिजनेस समूहों के बीच वैचारिक मतभेद जारी हैं। एसपी ग्रुप के पास टाटा संस के 18.37% शेयर हैं। सायरस मिस्त्री द्वारा 22 सितंबर को कोर्ट में दिए लिखित आवेदन के अनुसार वर्तमान में इन शेयर्स की मार्केट वेल्यू 1.75 लाख करोड़ रुपए के करीब है। एसपी ग्रुप टाटा संस में सबसे बड़ी माइनॉरिटी स्टेक होल्डर है। दोनों परिवारों के बिगड़ते संबंधों के चलते सायरस मिस्त्री ने टाटा संस से अपनी हिस्सेदारी बेचकर टाटा ग्रुप के साथ सभी व्यावसायिक संबंध खत्म करने का फैसला कर लिया है।

रिश्ते बिगड़ने की शुरुआत
एसपी ग्रुप की कमान संभालने वाले सायरस मिस्त्री को 2012 में 10 वर्षों के लिए टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था। लेकिन, उनके काम के तौर-तरीकों से नाखुश होकर सिर्फ 4 साल में ही उन्हें इस पद से हटा दिया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि सायरस मिस्त्री की कार्य-प्रणाली से न सिर्फ टाटा की कंपनियों को आर्थिक नुकसान ही हो रहा था, बल्कि टाटा ग्रुप के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन भी। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर उन्हें चेयरमैन के पद से हटाने का फैसला लिया गया था।

टाटा ग्रुप के लिए मुश्किल
मिस्त्री परिवार ने टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी बेचने की बात कही है। हालांकि, उन्होंने ये कभी नहीं कहा कि ये शेयर्स वे टाटा ग्रुप को ही बेचेंगे। एक फेमस ब्रोकिंग फर्म के मुंबई स्थित सीनियर रिसर्च एनालिस्ट ने बताया कि सायरस मिस्त्री का मूड देखते हुए कहा जा सकता है कि वे किसी बाहरी व्यक्ति को भी ये शेयर्स बेच सकते हैं। मिस्त्री का यही फैसला टाटा ग्रुप के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बन सकता है। वर्तमान में मिस्त्री से शेयर्स खरीदने के लिए इतनी बड़ी रकम अपने समूह या बाहर से मैनेज करना टाटा के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

टाटा के पास क्या विकल्प हैं?

1. TCS के कुछ हिस्सों की बिकवाली: इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवायजरी सर्विसेज (IIAS) की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा ग्रुप ये शेयर्स खरीदेगी तो उसे इस रकम का भुगतान करने के लिए TCS की कुछ हिस्सेदारी बेचनी पड़ सकती है। वर्तमान की वेल्यूएशन के अनुसार टाटा संस के SP ग्रुप से ये शेयर्स खरीदने के लिए TCS का करीब 16% हिस्सा बेचना पड़ सकता है। और ऐसा करने से TCS में उसकी होल्डिंग वर्तमान के 72% से घटकर 56% पर आ जाएगी।

2. बाहरी निवेश: अंग्रेजी बिजनेस अखबार 'मिंट' की रिपोर्ट के मुताबिक, मिस्त्री फैमिली से शेयर्स खरीदने हेतु रकम के इंतजाम के लिए टाटा संस सोवरिन वेल्थ फंड्स समेत कई निवेशकों से बात कर रही है। जानकारों के मुताबिक, टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन यूरोप के कई इंवेस्टमेंट फंड्स के संपर्क में भी हैं। हालांकि, इसमें पूरा मामला वैल्यूएशन पर आकर अटकेगा।

3. SP ग्रूप से समझौता: मुंबई के एक स्टॉक ब्रोकर के बताए अनुसार, टाटा अपने शेयर बाहर जाने से रोकने के लिए एसपी ग्रुप से समझौता कर सकते हैं। टाटा और मिस्त्री परिवार के बीच शेयर्स के लेनदेन के लिए कोई पारसी व्यक्ति मध्यस्थता कर सकता है। मामला संभालने के लिए रतन टाटा इस कोशिश में भी लगे हुए हैं। बिजनेस वर्ल्ड में इस बात से सभी सहमत नहीं हो सकते, लेकिन इसकी संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता।

4. एसपी ग्रुप से थोड़े-थोड़े शेयर खरीदने का ऑप्शन: जानकारों के मुताबिक, अगर दोनों ग्रुपों के बीच समझौता हो जाता है तो टाटा ग्रुप को एसपी ग्रुप के 18.37% शेयर्स कई हिस्सों में खरीदने का ऑप्शन मिल सकता है। इससे टाटा ग्रुप पर फायनेंशियल भार भी कम हो जाएगा और समय मिलने के चलते उसके लिए पैसों की व्यवस्था करना भी आसान हो जाएगा।

TCS टाटा ग्रुप के लिए फायनेंशियल ड्राइविंग फोर्स

टाटा ग्रुप क रेवेन्यू वित्तीय वर्ष 2020 में 11 लाख करोड़ रुपए था, जो पिछले वर्ष में 7.98 लाख करोड़ रुपए था। बीते 10 सालों में ग्रुप की आय में 68.65% की बढ़ोतरी हुई है। टाटा समूह की 17 कंपनियां स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 12.57% लाख करोड़ रुपए है। इसमें से 9.08 लाख करोड़ रुपए का मार्केट कैप अकेले टाटा कंसल्टंसी सर्विसेज (TCS) का है। इस तरह देखें तो ग्रुप के लिए TCS एक फायनेंशियल ड्राइविंग फोर्स है।

एसपी ग्रूप को क्या मिलेगा?

सायरस मिस्त्री के कोर्ट में दिए आवेदन के अनुसार टाटा संस में उनके शेयर्स की वैल्यू 1.75 लाख करोड़ रुपए के करीब है। अगर यही बात मानी जाए तो यह रकम एसपी ग्रुप के कुल वैल्यूएशन की तुलना में लगभग तीन गुनी ज्यादा है। इकोनॉमी टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 तक में एसपी ग्रुप की वेल्यूएशन 8.1 अरब डॉलर (करीब 60 हजार करोड़ रुपए) है। टाटा और एसपी ग्रुप की तुलना करें तो टाटा ग्रुप की तुलना में एसपी ग्रुप बहुत छोटा है, क्योंकि टाटा की वेल्यू करीब 12-13 लाख करोड़ रुपए है।

टाटा की तुलना में एसपी ग्रुप 20वें हिस्से का
ग्रुप की वेबसाइट और पब्लिक डोमेन में दी गई जानकारी के अनुसार शापूरजी पालोनजी ग्रुप की वेल्यूएशन 8 अरब डॉलर (करीब 60 हजार करोड़ रुपए) है। ग्रुप का मुख्य बिजनेस इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन है। इसके अलावा एनर्जी, रियल एस्टेट, वॉटर मैनेजमेंट और फायनेंशियल सर्विसेज सेक्टर भी हैं। उसकी तुलना में टाटा ग्रुप का कद 20 गुना ज्यादा बड़ा है। टाटा की वेल्यू करीब 12-13 लाख करोड़ रुपए है और उसका बिजनेस वर्टिकल भी काफी बड़ा है।

70 साल में दो करोड़, 1.75 लाख करोड़ हो गए
मिस्त्री परिवार और टाटा फैमिली के बीच संबंधों की शुरुआत के बारे में कहा जाता है कि 1950 में जेआरडी टाटा को स्टील फैक्ट्री बनाने के लिए पैसों की जरूरत थी। इस समय पालोनजी शापूरजी मिस्त्री ने ही उनकी मदद की थी। इसके बदले में जेआरडी ने उन्हें टाटा संस के 12.5% शेयर्स दिए थे। यही हिस्सेदारी आज 18.37% तक पहुंच गई है, जिसकी मार्केट वेल्यू 1.75 लाख करोड़ रुपए के करीब हो चुकी है। ​​​​​​

शापूरजी पालोनजी ग्रुप की कंपनियां

  • SP इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन
  • SP इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन शापूरजी पालोनजी फायनेंस
  • SP इंफ्रास्ट्रक्चर
  • SP इंटरनेशनल
  • SP इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स
  • SP ऑयल एंड गैस
  • SP रियल एस्टेट
  • एफकोंस इंफ्रास्ट्रक्चर
  • यूरेका फोर्ब्स
  • फोर्ब्स एंड को.
  • फोरवॉल इंटरनेशनल सर्विसेज
  • स्टर्लिंग एंड विल्सन
  • SD कॉरपोरेशन
  • ओमान शापूरजी
  • नेक्स्टजेन पब्लिशिंग


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