गंगा किनारे बासी फूलों से तैयार करते हैं अगरबत्ती और शॉवर जेल, हर महीने करते हैं 2 लाख रुपए का बिजनेस
हरियाणा के फरीदाबाद में रहने वाले 27 साल के रोहित प्रताप ने साल 2014 में इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन में बीटेक किया। फिर नागपुर समेत कई शहरों में रहकर तीन कंपनियों में बतौर क्वालिटी कंट्रोलर नौकरी भी की। पिछले साल नौकरी छोड़ फ्लावर वेस्ट मैनेजमेंट पर काम शुरू किया। अब वो उत्तराखंड के ऋषिकेश में मंदिर से निकलने वाले फ्लावर वेस्ट से अगरबत्ती, धूपबत्ती तैयार करते हैं।
रोहित ने 10 लाख की लागत से ये बिजनेस शुरू किया था, अब वो इससे हर महीने डेढ़ से दो लाख रुपए की सेल करते हैं और करीब 16 महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं। रोहित का मानना है कि इससे तीर्थ नगरी का पर्यावरण प्रदूषण कम करने में भी मदद मिल रही है।
रोहित का शुरुआत से वेस्ट मैनेजमेंट में इंट्रेस्ट था। 2017 में उन्होंने जॉब के साथ-साथ इस फील्ड में रिसर्च करनी शुरू की। उत्तराखंड के ऋषिकेश में राेहित की मौसी रहती थीं, जिन्होंने युवावस्था में ही संन्यास ले लिया था। ऐसे में रोहित का अक्सर ऋषिकेश आना-जाना रहता था। एक दिन जब रोहित ने अपनी मौसी से वेस्ट मैनेजमेंट के प्लान पर डिस्कस किया तो उन्होंने रोहित को फ्लावर वेस्ट मैनजेमेंट पर काम करने की सलाह दी।
ऋषिकेश तीर्थ नगरी है। ऐसे में यहां बड़ी तादाद में मंदिर हैं। श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। सुबह भगवान को अर्पित होने वाले फूल शाम को घाट किनारे पड़े मिलते थे या उसे लोग नदी में बहा देते हैं। इन सबसे नदियां भी प्रदूषित होती थीं।
ऐसे में रोहित ने 2018 में अपनी नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया और फरीदाबाद में रहकर करीब 6 महीने तक फूलों के वेस्टेज से क्या-क्या चीजें कैसे तैयार हो सकती हैं, इस पर काम किया। इस दौरान वे वेस्ट मैनेजमेंट सेक्टर में काम करने वाले कई लोगों से भी मिले।
6 महीने बाद रोहित ने फरीदाबाद के ही मंदिरों से निकलने वाले फ्लावर वेस्ट को इकट्ठा किया और सैंपल के तौर पर कुछ धूपबत्ती और अगरबत्ती बनाईं। ये प्रोडक्ट उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों को दिया और रिस्पांस अच्छा मिला तो अप्रैल 2019 में ऋषिकेश में जगह लेकर एक छोटा सा प्लांट लगाया। फिर सितंबर 2019 में इस प्लांट में फ्लावर वेस्ट से धूपबत्ती, अगरबत्ती और शॉवर जेल का प्रोडक्शन शुरू किया।
रिक्शा से फ्लावर वेस्ट प्लांट तक लाते हैं
रोहित बताते हैं कि हमने ऋषिकेश के करीब 12 मंदिरों और 2 घाट के पास 50 किलो से लेकर 100 किलो तक की क्षमता वाले ड्रम रखे हैं। जिसमें मंदिरों से निकलने वाला फ्लावर वेस्ट इकट्ठा होता है। यहां से हम रिक्शे के जरिए इस वेस्ट को अपने प्लांट पर लेकर आते हैं और फिर इसकी रिसाइकिलिंग कर इससे अगरबत्तियों का प्रोडक्शन हाेता है।
महिला कर्मचारी इनमें से उपयोगी फूलों की बारीकी से छंटनी करती हैं। फिर उनकी धुलाई कर सुखाने के बाद मशीन से पीसकर उनके पाउडर की परफ्यूमिंग होती है। उसके बाद 'नभ अगरबत्ती' और 'नभ धूप' नाम से इन प्रोडक्ट को उन्हीं पूजा स्थलों के साथ ही तीर्थ नगरी की दुकानों, आवासीय परिसरों में बेचा जाता है। बचा हुआ फूलों का कचरा भी इस्तेमाल कर लिया जाता है। उसका वर्मी कम्पोस्ट बनाकर जैविक खेती करने वाले क्षेत्र के किसानों को बेच दिया जाता है।
रोहित के मुताबिक, आम दिनों में उन्हें ऋषिकेश से रोजाना 500 किलो फ्लावर वेस्ट मिलता है। 1 किलो फ्लावर वेस्ट से 70 से 80 ग्राम तक पाउडर तैयार होता है और इससे करीब 700 हैंड मेड अगरबत्ती स्टिक तैयार होती हैं। इस काम के लिए रोहित के प्लांट पर करीब 16 महिलाएं (फुल टाइम, पार्ट टाइम) काम करती हैं। उनके प्लांट पर रोजाना 1000 पैकेट तैयार होते हैं।
रोहित कहते हैं कि इसकी मार्केटिंग मैं खुद देखता हूं, फिलहाल हमारे सभी प्रोडक्ट ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा कुछ प्रदेशों में डिस्ट्रीब्यूटर भी हैं और उत्तराखंड के लोकल मार्केट में भी इसकी सप्लाई करते हैं। हमारे यहां जो हैंड मेड अगरबत्ती तैयार होती है, वह ऑर्गेनिक सेगमेंट में आती है, जिसे काफी अच्छा रिस्पांस मिलता है।
रोहित कहते हैं कि अभी हम फ्लावर वेस्ट से धूपबत्ती, अगरबत्ती, शॉवर जेल, वर्मी कम्पोस्ट और गुलाल तैयार करते हैं। अब हम हवन सामग्री, लिप ग्लास, फेस पैक भी तैयार करने की तैयारी में हैं। इसके अलावा अब अपनी यूनिट को हरिद्वार समेत अन्य तीर्थ व धार्मिक स्थानों पर भी खोलने की तैयारी है।
रोहित का कहना है कि फ्लावर वेस्ट से प्रोडक्ट बनाना तो आसान है, लेकिन इसकी मार्केटिंग आसान नहीं है। यदि कोई फ्लावर वेस्ट को लेकर काम करना चाहता है तो हम उसकी नि:शुल्क मदद भी करते हैं।
(अधिक जानकारी के लिए रोहित प्रताप से उनके मोबाइल नंबर 097175 88383 पर संपर्क किया जा सकता है।)
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