थिएटर खोलने की परमिशन नहीं मिलने पर प्रोड्यूसर्स ने 'मूवी थिएटर बचाओ' मुहिम शुरू की, सिनेमाघर वालों ने पूछा- रिलीज के लिए फिल्में कहां से आएंगी?
प्रोड्यूसर्स को सरकार से उम्मीद थी कि अनलॉक के चौथे चरण में वो सिनेमाघरों को भी खोलने की अनुमति दे देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिम, रेस्टोरेंट और दिल्ली मेट्रो को चलाने की इजाजत दे दी गई, पर सिनेमाघरों को अनुमति नहीं मिली। जिसके बाद रिलायंस एंटरटेनमेंट समेत कई प्रोड्यूसर्स और ट्रेड एनालिस्टों ने ‘सेव मूवी थिएटर’ नाम की मुहिम शुरू कर दी है।
हालांकि खुद सिनेमाघर संचालकों ने थिएटरों को चलाने में आने वाली व्यावहारिक चुनौतियां गिनाई हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि प्रोड्यूसर्स के पास नई फिल्में रेडी नहीं हैं। सिवाय '83' और 'सूर्यवंशी' को छोड़कर। ऐसे में किस आधार पर सिनेमाघर खुलेंगे।
सिर्फ दो नई फिल्मों के सहारे कैसे ओपनिंग होगी?
मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी डीडीएलियास प्रकाश ने कहा, 'पिछले पांच महीनों में सरकार के साथ दो बार वेबीनार पर हमारी वर्चुअल मीटिंग हुई थी। पहली बैठक में उनका साफ कहना था कि उनकी पहली प्राथमिकता लोगों का स्वास्थ्य है, इंडस्ट्री नहीं। महामारी नियंत्रित होगी तो ही सिनेमाघर खोलने पर अनुमति दी जाएगी। पर आज भी देश में हर दिन में 60 से 70 हजार केसेज आ रहे हैं। साथ ही सिनेमाघर एक बंद एरिया होता है, वहां एहतियात के ज्यादा साधन चाहिए। इतना ही नहीं हमारे पास नई फिल्में कहां हैं, जो हम सिनेमाघरों में शो केस करेंगे।'
आगे उन्होंने बताया, 'सिर्फ ‘83’ और ‘सूर्यवंशी’ के सहारे कैसे थिएटर चलेंगे। साथ ही इन दोनों फिल्मों के फाइनेंसर प्रोड्यूसर्स से ब्याज ले रहे हैं। ओटीटी वाले इन फिल्मों को 100 करोड़ से ज्यादा दे नहीं रहे हैं। ऐसे में उनके पास ऑप्शन बस बॉक्स ऑफिस कलेक्शन है। इसी वजह से वो इस मुहिम को लीड कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि सिनेमाघर मालिकों ने अपनी प्रॉपर्टीज को बंद करते हुए ट्रांसफार्मर तक को डिस्कनेक्ट किया हुआ है। स्टाफ तक हटा दिए गए हैं। नई भर्तियां करनी होंगी।'
केंद्र इजाजत दे भी दे, पर राज्य अड़ंगा डाल रहे
फिल्म और ट्रेड बिजनेस के एमिनेंट एनालिस्ट गिरीश जौहर ने कहा, 'कोरोना के केसेज में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। पिछले कुछ दिनों से रोजाना 70 हजार मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में सिनेमाघरों को एक सितंबर से खोलने का मौका तो नहीं मिल रहा। देश में मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन मिलाकर 9500 स्क्रीन हैं। दूसरी चीज यह कि हमारे पास नया कंटेंट भी नहीं है।
गांधी जयंती पर रिलीज करने के लिए हमारे पास कोई फिल्म नहीं है। ऐसे में हम सिनेमाज ओपन कर भी लें तो पुरानी फिल्मों से उन्हें चलाना होगा। वो देखने कम ही लोग आएंगे, क्योंकि वैसे भी सिनेमाघर वाले प्रोटोकॉल के चलते महज आधी या एक चौथाई दर्शक क्षमता पर ही अपनी प्रॉपर्टी ओपन कर पाएंगे। अगर हॉलीवुड फिल्म 'टेनेंट' आ गई तो लोग आएंगे। डर निकलेगा उनका।
हम लोग 15 अगस्त से खुलने का सोच रहे थे। पर अगर अभी इजाजत मिल भी जाए तो फिलहाल 15 सितंबर भी ओपन होना मुमकिन नहीं लग रहा। साथ ही केंद्र इजाजत दे भी दे, तो राज्य अड़ंगा डालेंगे। यह जरूर है कि हालात नॉर्मल होंगे तो सिनेमाघरों के बिजनेस में तो जोरदार इजाफा होगा।
होम मिनिस्ट्री से भी इजाजत मिल नहीं रही
ट्रेड पंडित और डिस्ट्रीब्यूटर राज बंसल एक और चुनौती गिना रहे हैं। उनका कहना है कि हमारी बिरादरी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से तो हरी झंडी मिल रही है। वो अपने रिकमेंडेशंस होम मिनिस्ट्री को भेज देते हैं, मगर होम मिनिस्ट्री अड़ंगा डाल देती है। जबकि सिनेमाज दुनियाभर में खुल गए है। 'टेनेंट' ने रिलीज के तीन दिनों में ही 300 से 400 करोड़ कमाए हैं। कोरिया में पुरानी पिक्चरें देखने लोग आए हैं। उम्मीद है यहां भी जल्द ऐसे हालात होंगे, क्योंकि जब स्वीमिंग पूल, जिम और मेट्रो खोल दिए हैं तो सिनेमाघरों से क्या मुसीबत।
तैयार नहीं हैं नई फिल्में
बॉक्सऑफिस पर रिलीज के लिए नई फिल्में भी तैयार नहीं हैं, जो अगस्त बाद रिलीज होना थीं। कोरोना और लॉकडाउन के चलते सब की शूटिंग अटकी हुई थी। मिसाल के तौर पर ‘सत्यमेव जयते 2’, ‘पृथ्वीराज’, ‘धाकड़’, ब्रह्मास्त्र‘, ‘मैदान’, ‘लाल सिंह चड्ढा’ से लेकर छोटे और मीडियम बजट की फिल्में। ‘जयेशभाई जोरदार’ जैसी फिल्मों के पैच वर्क बचे हुए हैं। लिहाजा सिनेमाघर भी अपनी प्रॉपर्टीज नहीं ओपन कर रहे, क्योंकि वो नया कंटेंट क्या लगाएंगे।
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